tag:blogger.com,1999:blog-8777314598142391416.post2118936391522432024..comments2023-06-20T07:47:57.954-07:00Comments on ashvaghosh: शंकरी ताईashvaghoshhttp://www.blogger.com/profile/04330878210210044156noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8777314598142391416.post-84894420845611280042012-01-25T18:09:15.110-08:002012-01-25T18:09:15.110-08:00"आँगन मे आई
चिड़िया भी
परों मे बाँध ले
जाती च..."आँगन मे आई<br />चिड़िया भी<br />परों मे बाँध ले<br />जाती चार बात<br />टपका देती<br />किसी भी कान मे"<br /><br />कितना मुश्किल हो जाता है एक खूबसूरत,जवान विधवा के लिए लोगों की बेधती-सी निगाहों और बे सिर पैर की बातों से बचाए रखना! आपने स्त्री के मन में झाँक उसकी पीर को शब्द दे दिए हैं।sushilahttps://www.blogger.com/profile/05803418860654276532noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8777314598142391416.post-11442768399332506262011-12-13T16:55:10.140-08:002011-12-13T16:55:10.140-08:00अश्वनी जी! किसी जवान विधवा के दिल की पीर को समझकर ...अश्वनी जी! किसी जवान विधवा के दिल की पीर को समझकर बखूबी उकेरा है आपने. इस भावप्रधान रचना के लिए मेरी ओर से हार्दिक बधाई स्वीकारें.विवेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/13646843060586352011noreply@blogger.com