Sunday, June 5, 2011

neeela peela

लाल,हरा,नारंगी,नीला,पीला है
जो भी रंग मिला है,वही पनीला है

वो बेचारा, हम बेचारों जैसा है
बस बस्ती का पानी जरा नशीला है

खुल कर सांस नहीं ले पाओगे बाबा
मौसम का अंदाज़ बहुत जहरीला है

रीढ़ नहीं है, घुटनों के बल चलता है
बहुत लिजलिजा,ठंडा है,बर्फीला है

दुनिया पूरी जैसे रैम्प बनी कोई
बेलिबास का ही लिबास चमकीला है

भरी दुपहरी ,जैसा, वैसा शाम ढले
मेरा साया, बदला कब,शर्मीला है

ये आदम के बेटों की ही चोटें है
आसमान को शौक़ नहीं जो नीला है

No comments: