Sunday, July 17, 2011

baarishen

मौज आई ,खूब आई बारिशें
ऊपरी जैसे कमाई बारिशें

सुन रहे हर बार कुछ बदलाव है
पर वही देखी दिखाई बारिशें

एक सहरा लाख चिल्लाता रहा
गर न आई ,तो न आई बारिशें

वो समन्दर झेलता तूफ़ान अब
जिस समन्दर ने बनाई बारिशें

हम पकड़ दामन हया का रह गये
देर तक लेकिन नहाई बारिशें

इक तरफ हैं बाढ़,है सूखा कहीं
जान दे कर यूँ निभाई बारिशें

आसमां आयोग अब बैठायेगा
दायरों में क्यूँ समाई बारिशें

1 comment:

sushila said...

"आसमां आयोग अब बैठायेगा
दायरों में क्यूँ समाई बारिशें"
बहुत सुंदर