सर्वश्रेष्ठ कवितायेँ
कलम दवात से
कागज पर नहीं लिखी गयी
दरअसल वो कभी भी,कहीं भी
कलम दवात से
कागज पर नहीं लिखी गयी
दरअसल वो कभी भी,कहीं भी
नहीं लिखी गयी
वो बस जी गयी थी
आंसू,पसीने और खून मे
अलग अलग काल खण्डों मे
धरती के केनवास पर
विभिन्न रंगों,रूपाकारों मे
बिखर गयी थी कविता
चुटकी भर नमक सी
मुट्ठी भर रेत सी
बांहों भर इंद्रधनुष सी
छा गयी थी आसमान पर
बरस गयी थी
छिपे कोनों मे
कह दी गयी थी
एक थपकी से
तिरछी नज़र से
बेबस निगाह से
धरती कुरेदते अंगूठे से
बैठे कलेजे से
माथे पर रखे हाथ से
सिसकी से
हिचकी से
तलवार से
हल से
फांसी के फंदे से
कहाँ कहाँ
अभिव्यक्त नहीं हुई कविता
बस नहीं आ पाई
कागज पर
वो बस जी गयी थी
आंसू,पसीने और खून मे
अलग अलग काल खण्डों मे
धरती के केनवास पर
विभिन्न रंगों,रूपाकारों मे
बिखर गयी थी कविता
चुटकी भर नमक सी
मुट्ठी भर रेत सी
बांहों भर इंद्रधनुष सी
छा गयी थी आसमान पर
बरस गयी थी
छिपे कोनों मे
कह दी गयी थी
एक थपकी से
तिरछी नज़र से
बेबस निगाह से
धरती कुरेदते अंगूठे से
बैठे कलेजे से
माथे पर रखे हाथ से
सिसकी से
हिचकी से
तलवार से
हल से
फांसी के फंदे से
कहाँ कहाँ
अभिव्यक्त नहीं हुई कविता
बस नहीं आ पाई
कागज पर