Wednesday, January 11, 2012

ek taaja gazal

एक बादल है बरस कर जायेगा
आसमां कब रोज ये दोहरायेगा

खोल मत उलझी हुई ये रस्सियाँ
जो सिरा पकड़ा वही उलझायेगा

वक्त भागा जा रहा,थमता नहीं
नींद में बुड्ढा कोई बर्रायेगा

कल सुनहरी,हर नजूमी कह रहा
एक सपना कब तलक भरमायेगा

आसमां कब है पतंग को साधता
डोर का झटका,ज़मीं पर लायेगा

ये जरा सी बात मैं समझा नहीं
दिन चढेगा और फिर ढल जायेगा

No comments: