एक बादल है बरस कर जायेगा
आसमां कब रोज ये दोहरायेगा
खोल मत उलझी हुई ये रस्सियाँ
जो सिरा पकड़ा वही उलझायेगा
वक्त भागा जा रहा,थमता नहीं
नींद में बुड्ढा कोई बर्रायेगा
कल सुनहरी,हर नजूमी कह रहा
एक सपना कब तलक भरमायेगा
आसमां कब है पतंग को साधता
डोर का झटका,ज़मीं पर लायेगा
ये जरा सी बात मैं समझा नहीं
दिन चढेगा और फिर ढल जायेगा
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