जब वहम उस का यकीं बन जायेगा
वो कमां सा बेवज़ह तन जायेगा
चार पांसे वक्त के सीधे पड़े
आदमी से वो खुदा बन जायेगा
आदमी फौलाद सा दिखने लगे
गर मुकाबिल हौसला ठन जायेगा
बाप शामिल हो गया है दौड में
देखिये बच्चे का बचपन जायेगा
एक कीचड़,एक काजल कोठरी
आजमा लो,सर तलक सन जायेगा
हांडियों में आजमा कर देख लो
सब शरीफों का बड़प्पन जायेगा
1 comment:
सुन्दर सृजन , आभार.
मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नयी पोस्ट पर भी पधारें.
Post a Comment