Thursday, June 7, 2012

neend khuli kab

अंधियारा आने से पहले 
अंधियारा जाने से पहले 
मौसम इक जैसा होता है 
वही झुटपुटा 
सूरज, चंदा 
दोनों गायब 
कहीं कहीं 
रोशनी झांके 
अन्धकार भी थोडा थोडा 
भोर हुई या 
सांझ ढली है
कैसे ये निश्चित हो पाए
जागे हुए
मगर सोये से
भौंचक्के से
असमंजस मे
आसमान का घिसा दुशाला
देख देख कर
सोच रहा हूँ
जाने क्या आने वाला है
अन्धकार या चटक रौशनी
जो आना है
जैसे आये
नींद मगर
कब खुल पाती है

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