Sunday, September 16, 2012


जानता हूँ
जो थोडा सा
अतिरिक्त मांस
तुम्हे स्त्री बनाता है
वही मुझे पुरुष बनाता है

याद है
तुम्हारे अस्तित्व का
हिस्सा रहा
मेरा असहाय,डरा हुआ
प्राम्भिक अस्तित्व

सच
मैं आज भी
उतना ही डरा  हुआ हूँ
उतना ही निर्भर हूँ

फर्क इतना ही है
तुम्हारे दूध ने
इन अंगों को
तुम से ज्यादा
पुष्ट कर दिया है

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