खलिहान से निकली
कविता को
होना चाहिये गुइंया
किसी टिकुली या
रंगीन लूगड़ी की
जाना चाहिये
पुरानी बही में लगे
अंगूठे को ढूँढने
सहलाना चाहिये
खांसते फेफड़ों को
चमकाना चाहिये
आँखों को
सितारों की तरह
घुमा देना चाहिये
पैरों को
लट्टू की तरह
पहन लेना चाहिये
ठसकेदार साफा
नहीं होना चाहिये उसे
काले हिरण या
चिंकारा की तरह
नहीं होना चाहिये
उजाड खँडहर में
उकेरी गयी
मूर्त्तियों की तरह
नहीं होना चाहिये
समुद्र में डूब कर
आत्म हत्या करते
अस्ताचलगामी सूरज की तरह
चाहिये न चाहिये
के बीच भी
कविता
तुम निकलते ही रहना
खलिहान से
सूर्योदय के साथ
कविता को
होना चाहिये गुइंया
किसी टिकुली या
रंगीन लूगड़ी की
जाना चाहिये
पुरानी बही में लगे
अंगूठे को ढूँढने
सहलाना चाहिये
खांसते फेफड़ों को
चमकाना चाहिये
आँखों को
सितारों की तरह
घुमा देना चाहिये
पैरों को
लट्टू की तरह
पहन लेना चाहिये
ठसकेदार साफा
नहीं होना चाहिये उसे
काले हिरण या
चिंकारा की तरह
नहीं होना चाहिये
उजाड खँडहर में
उकेरी गयी
मूर्त्तियों की तरह
नहीं होना चाहिये
समुद्र में डूब कर
आत्म हत्या करते
अस्ताचलगामी सूरज की तरह
चाहिये न चाहिये
के बीच भी
कविता
तुम निकलते ही रहना
खलिहान से
सूर्योदय के साथ
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