गलियों गलियों हो रही रंगों की बौछार
बस्ती बस्ती हो गये कितने रंगे सियार
बातों बातों में हुई ख़ारिज अपनी बात
बातों बातों नप गयी यूँ अपनी औकात
रंग हुए शमशीर से,रंग बने पहचान
जीना बेरंगी हुआ अब कितना आसान
झंडे , बैनर ,पोस्टर ,नारे या उद्घोष
जब भी कोई चुन लिया,हो जाते मदहोश
बस्ती बस्ती हो गये कितने रंगे सियार
बातों बातों में हुई ख़ारिज अपनी बात
बातों बातों नप गयी यूँ अपनी औकात
रंग हुए शमशीर से,रंग बने पहचान
जीना बेरंगी हुआ अब कितना आसान
झंडे , बैनर ,पोस्टर ,नारे या उद्घोष
जब भी कोई चुन लिया,हो जाते मदहोश
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