गदबदे बच्चे सा वो
अनमोल सपना
रात मेरी गोद बैठा
फिर पकड़ उंगली मेरी
डग भर चला था
एक ललछौंही ललक सा
फिर लपक कर
डाल कर मेरे गले
छोटी सी बाँहें
देर तक लिपटा रहा
आश्वस्त करता
फुसफुसाया फिर
मैं हिस्सा हूँ तुम्हारा
इक महक बन
रम गया हूँ
बीज हूँ मैं
ढूंढ भूमि उर्वरा अब
मैं फलूँगा
इक इबारत हूँ
मुझे लिख
आसमां पर
मैं बरस जाऊँगा इक दिन
गा उठेगी
ये धरा भी
पाल मुझ को
थपकियाँ दे
मत सुला
जागा रहा तो
जिंदगी के अर्थ
तुझ पर खोल दूंगा
मैं हूँ कुंजी
हूँ इशारा
साथ ले मुझ को
चला चल
बंद दरवाज़ों के
पीछे क्या
तुझे बतला सकूंगा
अनमोल सपना
रात मेरी गोद बैठा
फिर पकड़ उंगली मेरी
डग भर चला था
एक ललछौंही ललक सा
फिर लपक कर
डाल कर मेरे गले
छोटी सी बाँहें
देर तक लिपटा रहा
आश्वस्त करता
फुसफुसाया फिर
मैं हिस्सा हूँ तुम्हारा
इक महक बन
रम गया हूँ
बीज हूँ मैं
ढूंढ भूमि उर्वरा अब
मैं फलूँगा
इक इबारत हूँ
मुझे लिख
आसमां पर
मैं बरस जाऊँगा इक दिन
गा उठेगी
ये धरा भी
पाल मुझ को
थपकियाँ दे
मत सुला
जागा रहा तो
जिंदगी के अर्थ
तुझ पर खोल दूंगा
मैं हूँ कुंजी
हूँ इशारा
साथ ले मुझ को
चला चल
बंद दरवाज़ों के
पीछे क्या
तुझे बतला सकूंगा
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