सुन कमली
मैं भी चिंतित हूँ
मैं ही क्या
टोली की टोली
पिली हुई है
ढूंढ रही है
क्या होते हैं
लोग-लुगाई
छील रहा हूँ
प्याज के छिलके
प्याज छीलते
आये आंसू
ये लिख दूंगा
बढे हुए नाखूनों को
काटूँगा थोडा
जिंदा नाखूनों का कटना
दर्दनाक है
ये लिख दूंगा
खुजली सर मे ही क्या
पूरा बदन खुजा कर
छील ही लूँगा
शायद खून छलक आयेगा
खून लिखूंगा
मेरी खुजली मिट जायेगी
कमली सुन
ये हरी लूगड़ी
एक घाघरा छींट दार भी
देना मुझ को
देख इसे मैं
कैसे परचम बनवाता हूँ
हरी लूगड़ी ब्रांड बनेगी
तुझे सुच्चिकन पन्नों वाली
मेगजीन के
मुख पर
छपवाऊंगा इक दिन
मेरा कद
कुछ बढ़ जायेगा
सुन कमली
मैं फिर आऊंगा
तुझ से मिलने
मुझे पता
तू वहीँ मिलेगी
फटी लूगड़ी मे
टांका लगवाती होगी
मैं भी चिंतित हूँ
मैं ही क्या
टोली की टोली
पिली हुई है
ढूंढ रही है
क्या होते हैं
लोग-लुगाई
छील रहा हूँ
प्याज के छिलके
प्याज छीलते
आये आंसू
ये लिख दूंगा
बढे हुए नाखूनों को
काटूँगा थोडा
जिंदा नाखूनों का कटना
दर्दनाक है
ये लिख दूंगा
खुजली सर मे ही क्या
पूरा बदन खुजा कर
छील ही लूँगा
शायद खून छलक आयेगा
खून लिखूंगा
मेरी खुजली मिट जायेगी
कमली सुन
ये हरी लूगड़ी
एक घाघरा छींट दार भी
देना मुझ को
देख इसे मैं
कैसे परचम बनवाता हूँ
हरी लूगड़ी ब्रांड बनेगी
तुझे सुच्चिकन पन्नों वाली
मेगजीन के
मुख पर
छपवाऊंगा इक दिन
मेरा कद
कुछ बढ़ जायेगा
सुन कमली
मैं फिर आऊंगा
तुझ से मिलने
मुझे पता
तू वहीँ मिलेगी
फटी लूगड़ी मे
टांका लगवाती होगी
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आदरणीय अश्वनी शर्मा जी
(विलंब से ही सही ...)
* जन्मदिन की हार्दिक बधाई ! *
** हार्दिक शुभकामनाएं !**
***मंगलकामनाएं !***
-राजेन्द्र स्वर्णकार
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