गमलों मे
कब पेड़ पनपता
कोई बोनसाई ही होगा
पेड़ नहीं
तदरूप और विद्रूप
भले हो
बौनी ताकत
छाया,फल कब दे पाएगी
किसी बेल को
कहाँ सहारा मिल पायेगा
कहाँ बसेरा ले पायेगा
कोई पखेरू
प्राण-वायु मुट्ठी भर भी
जो दे ना पाए
क्या करना है
इन पेड़ों का
जीवन का स्पंदन धडके
ऐसे पेड़ों को
गमलों से आजाद करें अब
नहीं चाहिए
ड्राइंग रूम की शोभा केवल
कई ज़मीनी बातें
अब जीनी ही होंगी
गमले टूटेंगे
तो ही
पनपेंगे पक्का
कुछ विशाल वट वृक्ष
वही आश्वस्त करेंगे
कब पेड़ पनपता
कोई बोनसाई ही होगा
पेड़ नहीं
तदरूप और विद्रूप
भले हो
बौनी ताकत
छाया,फल कब दे पाएगी
किसी बेल को
कहाँ सहारा मिल पायेगा
कहाँ बसेरा ले पायेगा
कोई पखेरू
प्राण-वायु मुट्ठी भर भी
जो दे ना पाए
क्या करना है
इन पेड़ों का
जीवन का स्पंदन धडके
ऐसे पेड़ों को
गमलों से आजाद करें अब
नहीं चाहिए
ड्राइंग रूम की शोभा केवल
कई ज़मीनी बातें
अब जीनी ही होंगी
गमले टूटेंगे
तो ही
पनपेंगे पक्का
कुछ विशाल वट वृक्ष
वही आश्वस्त करेंगे
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