दांव लगाता इक सटोरिया
जिंस कई गायब हो जाती
बिक जाती धनिया की हंसुली
मंगल सूत्र लरजते कितने
उठापटक होती शेयर की
धमा चौकड़ी बाज़ारों में
सोने सी फसलें खेतों में
खड़ी खड़ी मिटटी हो जाती
हरे भरे कुछ बाग बगीचे
बच्चों की थोड़ी किलकारी
कुछ जवान सपने सिन्दूरी
हांड़ी में खिचड़ी की खदबद
सब सहमे से
और गाय की आँख
उदासी से भर जाती
सूखे आंसू लिए रामधन
किस को कोसे
धरती ने भरपूर दिया है
किस जादू से उस का सोना
मिटटी होता
सर में सींग उगाए
थोड़े पेट थुलथुले
एक फोन पर ले उड़ते
रोटी की थाली
प्याज मिर्च तक गायब कर दें
जान रामधन
कमोडिटी एक्सचेंज का डिब्बा
क्यों हँसता है
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