यूँ तो मंजिल को जान लेते हैं
रास्ते इम्तिहान लेते हैं
सोच अपनी हुई परिंदों सी
जैसे चाहे उड़ान लेते हैं
जो भी देखा है, वो ही कहते हैं
फिर भी हलफन बयान लेते हैं
वो ही बाहक जवान होते हैं
कर गुजरते जो ठान लेते हैं
जिंदगी का गणित वही समझे
जो कभी दिल की मान लेते हैं
लोग झोली भी भर नहीं पाते
लेने वाले ज़हान लेते हैं
वो जो आला गुनाह करते हैं
रहनुमा बन कमान लेते हैं
3 comments:
जिंदगी का गणित वही समझे
जो कभी दिल की मान लेते हैं
वाह...
हर शेर उम्दा..
आभार अश्वनी जी...
जिंदगी का गणित वही समझे
जो कभी दिल की मान लेते हैं
bahut khoob!!
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल अश्वनी जी
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