मैं बेचारा नहीं हूँ
थका हारा नहीं हूँ
ग़दर की जात का हूँ
महज़ नारा नहीं हूँ
गजर हूँ भोर का फिर
भले तारा नहीं हूँ
पढ़ो मज़मून हूँ मैं
मैं हरकारा नहीं हूँ
हूँ मालिक भी मणि का
ज़हर सारा नहीं हूँ
हूँ मीठा,हूँ कसैला
फक़त खारा नहीं हूँ
जो हूँ हक से हूँ प्यारे
तेरे द्वारा नहीं हूँ
1 comment:
BAHUT KHOOB,GAZAB
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