Thursday, November 10, 2011

क़स्बा सांप है

क़स्बा
सांप सा रेंगता रहता है
फन उठाता है तभी
जब दब जाए
उस की अनेक पूंछों में से
कोई एक

हुनरमंद लोग
अपनी बीन पिटारा लिए
ताक में रहते हैं
इरादतन दबाते हैं पूँछ
निकाल लेते हैं जहर
आवश्यकतानुसार
क़स्बा
फिर रेंगने लगता है

सांप हो कर भी
सांप सा नहीं काट पाया
क़स्बा कभी भी

बस जहर पैदा करता रहा
हुनरमंदों के लिए

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