Tuesday, November 22, 2011

कस्बे का कोलाज .....छुटभैये नेता रामधन जी

एक

विधायक
सिर्फ 'जीतता' है
'बनता' है
जब
रामधन जी
'बनाते' हैं

दो

कुत्ता ,सांप , बगुला
गिरगिट ,लोमड़ी
सब को मिला कर
रामधनिया
बन जाता है
रामधन जी

तीन

सभी सरकारी योजना
गुजरती हैं
रामधन जी कि छलनी से
छोड़ जाती हैं
कुछ न कुछ

चार

रामधन जी को
अहसान करना
जताना
और भुनाना आता है

पांच

रामधन जी जानते हैं
सरकारी कारिंदों कि
नब्ज़ ,जरूरत ,औकात
देते है
चपत , प्यार और लात

1 comment:

sushila said...

कितना करारा व्यंग है ! जवाब नहीं आपका अश्विन जी !