एक
विधायक
सिर्फ 'जीतता' है
'बनता' है
जब
रामधन जी
'बनाते' हैं
दो
कुत्ता ,सांप , बगुला
गिरगिट ,लोमड़ी
सब को मिला कर
रामधनिया
बन जाता है
रामधन जी
तीन
सभी सरकारी योजना
गुजरती हैं
रामधन जी कि छलनी से
छोड़ जाती हैं
कुछ न कुछ
चार
रामधन जी को
अहसान करना
जताना
और भुनाना आता है
पांच
रामधन जी जानते हैं
सरकारी कारिंदों कि
नब्ज़ ,जरूरत ,औकात
देते है
चपत , प्यार और लात
1 comment:
कितना करारा व्यंग है ! जवाब नहीं आपका अश्विन जी !
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