Friday, January 6, 2012

अँधेरे में चमकती आँख

आओ
एक ढकोसला रचें
एक ढोंग जियें
मैं अटका दूँ तुम्हे
कुछ बिम्बों में
तुम चिपका दो
मुझ पर
कुछ उपमाएं

शब्दों की
पिंग पोंग खेलें
लपेट कर देखें
खिलखिलाती चांदनी
उघाड़ कर देखें
गुनगुनी धूप

प्रतीक बना दें
पेड़,फूल,चिड़िया को
बखिया उधेड़े
अमलतास,हारसिंगार की
मांसल पेड़ों की
टहनियों पर झूलें

झीने आवरण दें
नंगी लालसा को
पढ़ें
मरमरी,आबनूसी रंग की
इबारत

दिवालिया अहसासों की
बैलेंस शीट से
करें खुराफ़ात

शायद जान पायें
हम भी
अँधेरे में चमकती
आँख का अर्थ