खुरुंड खरोंचे
धरती खोदें
किसी पेड़ की
छाल छील दें
पिथ कर देंगे
इक मेंढक को
मर्म तलाशें
आक्यु पंक्चर की सुई के
नोक बनायें
बड़े जतन से
शब्द बाण की
तालाबों पर फैली काई
अंदर कहीं
फ़ैल जायेगी
खपरैलों में छिपी छिपकली
कब सर पर
आ कर टपकेगी
इक गोरैया
उड़ जायेगी
किसी जिबह होते
बकरे की आँख
आसमां से झाँकेगी
धरती खोदें
किसी पेड़ की
छाल छील दें
पिथ कर देंगे
इक मेंढक को
मर्म तलाशें
आक्यु पंक्चर की सुई के
नोक बनायें
बड़े जतन से
शब्द बाण की
तालाबों पर फैली काई
अंदर कहीं
फ़ैल जायेगी
खपरैलों में छिपी छिपकली
कब सर पर
आ कर टपकेगी
इक गोरैया
उड़ जायेगी
किसी जिबह होते
बकरे की आँख
आसमां से झाँकेगी
2 comments:
इक गोरैया
उड़ जायेगी .... और उसे ढूँढने की बातें करते रहेंगे
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