एक खेल तुम खेलो
एक खेल मैं
तुम्हारे खेल में
शेयर मार्केट की बास्केट बाल
के साथ
रक्तदाब का पैमाना
ऊपर नीचे होगा
मेरे खेल में
जीने की चाहत
खेत में गेंहू के
नवांकुर सी फूटेगी
ऊंची नीची धरती पर
मैं भी खेलूँगा तुम्हारी तरह
रक्तदाब ऊपर नीचे होने का खेल
तुम्हारे खेल का पैमाना बहुत बड़ा है
नदी, पेड़, जंगल
गाँव,देश,धरती
जाति,धर्म,आदमी
किसी का भी
गला घोंट सकते हो
मेरे खेल में चींटी भी
जीवन का अधिकार रखती है
तुम अपनी शर्तों पर खेलते हो
खिलाडी भी तुम
रेफरी भी तुम
लेकिन शर्तों पर खेल नहीं
युद्ध होते है
खेलना है तो मेरी तरह आओ
शर्तहीन
जीत और हार के डर से दूर
खेल को ज़िन्दगी बना कर नहीं
ज़िन्दगी को खेल बना कर
तुम अहसास में व्यवसाय ढूंढते हो
और मैं व्यवसाय में भी अहसास
तुम रिश्तों को भुनाते हो
मैं रिश्तों को जीता हूँ
तुम खेल को रंग देते हो
मैं रंगों से खेलता हूँ
प्यारे
खेल में खेल नहीं
खेल को खेल सा खेलो
वर्ना खेल के खेल को झेलो
1 comment:
sateek. saarthak abhivyakti. badhai.
Post a Comment