ashvaghosh
Friday, February 18, 2011
एक ग़ज़ल
कब गुलाब की होगी धरती
सरकंडों की भोगी धरती
अब कोई उम्मीद नहीं है
शस्य-श्यामला होगी धरती
आदमजात कहो क्या कम है
और भक्ष्य क्या लोगी धरती
बच्चे कच्चे भूख मरे है
बनती कैसे जोगी धरती
लाखों वैध हकीम हुए है
पर रोगी की रोगी धरती
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