अब दगों की ही रवायत हो गई
ज़िन्दगी गोया तवायफ हो गई
अब वफ़ा ही शूल सी चुभने लगी
आप की जब से इनायत हो गई
है मुहब्बत कह दिया चौराहे पर
जाने किस किस से अदावत हो गई
जो हुए गाफिल तो भुगतेंगे जनाब
आप को कैसे शिकायत हो गई
यूँ किताबों में लिखे अधिकार है
मांग बैठे,बस क़यामत हो गई
तान के मुक्का यूँ ही लहरा दिया
लीजिये अपनी बगावत हो गई
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