ज़िक्र बदरंग हर हुआ क्यूँ कर
हर ख़ुशी के लिए दुआ क्यूँ कर
नाव कागज़ की खूब तैरे है
आदमी इस तरह हुआ क्यूँ कर
आज तक धडकनों में तूफां हैं
आप ने इस क़दर छुआ क्यूँ कर
लोग चुपचाप क़त्ल देखे है
कौन पूछे कि ये हुआ क्यूँ कर
या कि राजा है या कि रंक यहाँ
ज़िन्दगी इस क़दर जुआ क्यूँ कर
मैंने रस्ते बनाये आप यहाँ
आप मेरे हैं रहनुमा क्यूँ कर
यूँ न होता तो यूँ नहीं होता
यूँ न हो कर ये यूँ हुआ क्यूँ कर
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