Thursday, March 17, 2011

मौसम है आता जाता है

इस का कब पक्का नाता है
मौसम है,आता, जाता है

सपनों को समझाऊँ कैसे
जब जी चाहे तू आता है

कोई नदी दीवानी होगी
तभी समंदर अपनाता है

सन्नाटा चाहे दिखता हो
एक बवंडर गहराता है

बच्चा जब सीधा बूढ़ा हो
खून रगों में जम जाता है

जिन्हें चलाना आता,उन का
खोटा सिक्का चल जाता है

लाख अंधेरों की साजिश हो
अपना सूरज से नाता है

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