रिश्ते सूखे फूल गुलाबों के
भूले जैसे हर्फ़ किताबों के
ये मिलना भी कोई मिलना है
इस से अच्छे दौर हिजाबों के
सीधी सच्ची बातें कौन सुने
शैदाई है लोग अजाबों के
दौर फकीरी का भी हो जाये
कब तक देखें तौर रुआबों के
ना छिपता,ना पूरा दिखता है
पीछे जाने कौन नकाबों के
कई सवारों ने ठोकर खाई
जाने किस ने राज रकाबों के
जारी देखो अब भी बेगारी
गुजरे चाहे दौर नवाबों के
1 comment:
बहुत खूबसूर्ती से आपने रिश्तों और दुनिया के चलन को
बयां किया है । बहुत बढ़िया ।
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