सच कहना कुछ खतरनाक है
ये पक्का था
बहुत कुलबुलाता रहता था
मगर वो कीड़ा
इक हांडी में गाड़ दिया
घर के पिछवाड़े
और सजा दी
इक सुन्दर सी फुलवारी भी
वहम भरी तितली
मंडराती ही रहती थी
सच के कीड़े
कुछ दर्दीले
कई कंटीले और पनीले
बन जाते हैं
झबरीली पूंछों के चूहे
कुतर गये वो
गढ़ी गयी
समतल,चिकनी
रपटीली सतहें
कुतर गये
कुछ घिसे गये
कोनों की आभा
रेगमाल की रगडें खा कर
एक सुच्चिकन
इक मनभावन
देह लिए जो
रातों होड किया करते थे
इन तारों से
क्या कुतरा है
झूठ लिथडता ही रहता है
जैसे उधड़ा फाल
पुरानी साड़ी का हो
सच के चूहे शायद कुतरें
अंधकार भी
झाँक रहा हो
जिस के पीछे
नन्हा सूरज
सच का पैरोकार
रौशनी का हामी भी
ये पक्का था
बहुत कुलबुलाता रहता था
मगर वो कीड़ा
इक हांडी में गाड़ दिया
घर के पिछवाड़े
और सजा दी
इक सुन्दर सी फुलवारी भी
वहम भरी तितली
मंडराती ही रहती थी
सच के कीड़े
कुछ दर्दीले
कई कंटीले और पनीले
बन जाते हैं
झबरीली पूंछों के चूहे
कुतर गये वो
गढ़ी गयी
समतल,चिकनी
रपटीली सतहें
कुतर गये
कुछ घिसे गये
कोनों की आभा
रेगमाल की रगडें खा कर
एक सुच्चिकन
इक मनभावन
देह लिए जो
रातों होड किया करते थे
इन तारों से
क्या कुतरा है
झूठ लिथडता ही रहता है
जैसे उधड़ा फाल
पुरानी साड़ी का हो
सच के चूहे शायद कुतरें
अंधकार भी
झाँक रहा हो
जिस के पीछे
नन्हा सूरज
सच का पैरोकार
रौशनी का हामी भी
1 comment:
अतिसुन्दर! भाई सा...
Post a Comment