Saturday, April 9, 2011

सर जायेगा

नफरतों से जब कोई भर जायेगा
काम कोई दहशती कर जायेगा

इक गली,इक बाग़ कोई छोड़ दो
एक बच्चा खेल कर घर जायेगा

बागबाँ को क्यों खबर होती नहीं
फूल इक अहसास है मर जायेगा

रेत के सहरा को कब मालूम है
एक बादल तर-ब-तर कर जायेगा

अब यक़ीनन राह भूलेगा कोई
जब कोई यूँ कौम को भरमायेगा

काश कोई इन धमाकों को कहे
नींद में बच्चा कोई डर जायेगा

हुक्मरां की चाल तो तफरीह है
फिर किसी प्यादे का ही सर जायेगा

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