Tuesday, April 26, 2011

पाली रेत

तुम ने कभी संभाली रेत
हम ने तो है पाली रेत

तन पर क्या रखना इस का
मन में कहीं छिपा ली रेत

होली रोज मनाती है
कभी कभी दीवाली रेत

सूरज संग अंगारा है
चंदा संग मतवाली रेत

जाने कहाँ छुपी बैठी
निकली नहीं निकाली रेत

कभी आसमां छू आती
कभी निठल्ली ठाली रेत

छू कर,जी कर,निरख,परख
अपनी देखीभाली रेत

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