हादिसों का चार सू इमकान है
लोग महफ़िल के मगर अनजान है
तोड़ देते आदमी की रूह को
ये ग़ज़ब के सिरफिरे अरमान है
क्या तआर्रुफ़ पूछते है बारहा
आप जैसे हूबहू इंसान है
उन फरिश्तों की अलग तासीर थी
इन फरिश्तों का अलग ईमान है
चाँद से जब से हुई है दोस्ती
चाँदनी मेरे यहाँ मेहमान है
खासियत तो देखिये पापोश की
हर क़दम की रूह की पहचान है
राह भूला भी नहीं,भटका नहीं
बस मेरा खुद पर यही अहसान है
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