मेरे खातिर कानूनों का जंगल है
मेरे खातिर ये आलीशां दंगल है
वो बबूल का पेड़ दिखा कर कहते है
तेरे हक में तो प्यारे ये संदल है
मेरा सूरज ठंडा सर्द हवाएं है
मेरे हक में सिर्फ अधफटा कंबल है
जिनको चिंता करनी वो करते जाये
मैं क्या जानूं किस में मेरा मंगल है
वही टोटके बतलाते है जीवन के
जिनके दर्शन में भी एक अमंगल है
हाथ पकड़ते हाथ छोड़ते उम्र हुई
मेरा जीवट ही अब मेरा संबल है
दरबानों अब ये समझो ताकीद तुम्हे
मेरे हाथों में ताला है संकल है
No comments:
Post a Comment