Sunday, May 1, 2011

कानूनों का जंगल है

मेरे खातिर कानूनों का जंगल है
मेरे खातिर ये आलीशां दंगल है

वो बबूल का पेड़ दिखा कर कहते है
तेरे हक में तो प्यारे ये संदल है

मेरा सूरज ठंडा सर्द हवाएं है
मेरे हक में सिर्फ अधफटा कंबल है

जिनको चिंता करनी वो करते जाये
मैं क्या जानूं किस में मेरा मंगल है

वही टोटके बतलाते है जीवन के
जिनके दर्शन में भी एक अमंगल है

हाथ पकड़ते हाथ छोड़ते उम्र हुई
मेरा जीवट ही अब मेरा संबल है

दरबानों अब ये समझो ताकीद तुम्हे
मेरे हाथों में ताला है संकल है

No comments: