Sunday, May 29, 2011

रेत

रेत-एक

आंधियां कितनी भी तेज हों

रेत को आँगन में

कौन रखता है

बुहार दी जायेगी

आंधी बंद होते ही



रेत-दो



रेत कितनी भी

ऊंची हो जाये

टीला ही होगी

पहाड़ नहीं



रेत-तीन



चैत से जेठ तक

घूमती है रेत

पगलायी हुई

बैठ जायेगी

आषाढ़ी आकाश की

पहली बूँद के साथ



रेत-चार



वैज्ञानिक कहते है

रेगिस्तान पाँव बढ़ा रहा है

बढ़ रहा है रेगिस्तान

धरती के साथ साथ

हमारे मन में भी

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