रेत-एक
आंधियां कितनी भी तेज हों
रेत को आँगन में
कौन रखता है
बुहार दी जायेगी
आंधी बंद होते ही
रेत-दो
रेत कितनी भी
ऊंची हो जाये
टीला ही होगी
पहाड़ नहीं
रेत-तीन
चैत से जेठ तक
घूमती है रेत
पगलायी हुई
बैठ जायेगी
आषाढ़ी आकाश की
पहली बूँद के साथ
रेत-चार
वैज्ञानिक कहते है
रेगिस्तान पाँव बढ़ा रहा है
बढ़ रहा है रेगिस्तान
धरती के साथ साथ
हमारे मन में भी
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