रस्ते रस्ते बात मिली
नुक्कड़ नुक्कड़ घात मिली
चिंदी चिंदी दिन पाए है
क़तरा क़तरा रात मिली
सिला करोड़ योनियों का है
ये मानुष की जात मिली
बादल लुका-छिपी करते थे
कभी कभी बरसात मिली
चाहा एक समंदर पाना
क़तरों की औकात मिली
जीवन को जीना चाहा पर
सपनों की सौगात मिली
वक़्त जहाँ मुठ्ठी से फिसला
यादों की बारात मिली
उस चौराहे शह दे आये
इस चौराहे मात मिली
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