Sunday, May 22, 2011

मात मिली

रस्ते रस्ते बात मिली
नुक्कड़ नुक्कड़ घात मिली

चिंदी चिंदी दिन पाए है
क़तरा क़तरा रात मिली

सिला करोड़ योनियों का है
ये मानुष की जात मिली

बादल लुका-छिपी करते थे
कभी कभी बरसात मिली

चाहा एक समंदर पाना
क़तरों की औकात मिली

जीवन को जीना चाहा पर
सपनों की सौगात मिली

वक़्त जहाँ मुठ्ठी से फिसला
यादों की बारात मिली

उस चौराहे शह दे आये
इस चौराहे मात मिली

No comments: