पूरा जीवन दाँव लगाते लोग
कब झोली से ज्यादा पाते लोग
राहों को मिल्कियत बताते हैं
चौराहे से आते जाते लोग
एक लहर सब ले जाती लेकिन
एक घरोंदा रोज बनाते लोग
चाहों को कितना चाहे चाहो
चाह नहीं मिटती मिट जाते लोग
वक़्त बिगड़ता है वक्तन वक्तन
वक़्त बिगड़ता वक़्त बनाते लोग
नाते-रिश्ते एक गहरा सागर
अपनी डोंगी पार लगाते लोग
एक संगीं सा राज बना जीना
राज बनाते राज छिपाते लोग
रिश्ते धीमी मौत मरा करते
चुपके चुपके शोक मानते लोग
दुनिया इक सतरंगी चादर है
कहीं ओढ़ते कहीं बिछाते लोग
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