Thursday, June 16, 2011

khuddari hai yaaro

बहुत ज़मीनी ये खुद्दारी है यारो
बस मिजाज़ की कारगुजारी है यारो

मखमल से अहसास अभी तक जिंदा है
माँ ने इतनी नज़र उतारी है यारो

इक सपने को भी ताबीर नहीं मिलती
पूरे जग की ज़िम्मेदारी है यारो

नाइंसाफी चलन पुराना दुनिया का
रीत रीत अब अपनी बारी है यारो

कई ढोंगियों की ज़मात सिर जोड़े है
शुरू मुल्क में रायशुमारी है यारो

सच्ची आवाज़ों का हमल गिरा देंगे
बहुत करीने की गद्दारी है यारो

धुप चांदनी टुकड़ा टुकड़ा ही देंगे
रोशनदानों को बीमारी है यारो

No comments: