बहुत ज़मीनी ये खुद्दारी है यारो
बस मिजाज़ की कारगुजारी है यारो
मखमल से अहसास अभी तक जिंदा है
माँ ने इतनी नज़र उतारी है यारो
इक सपने को भी ताबीर नहीं मिलती
पूरे जग की ज़िम्मेदारी है यारो
नाइंसाफी चलन पुराना दुनिया का
रीत रीत अब अपनी बारी है यारो
कई ढोंगियों की ज़मात सिर जोड़े है
शुरू मुल्क में रायशुमारी है यारो
सच्ची आवाज़ों का हमल गिरा देंगे
बहुत करीने की गद्दारी है यारो
धुप चांदनी टुकड़ा टुकड़ा ही देंगे
रोशनदानों को बीमारी है यारो
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