मुंह बाकी, ज़ुबान बाकी है
सफ़र बाकी,थकान बाकी है
जिस्म ही जिस्म हो गया चाहे
रूह के फिर निशान बाकी है
वायदामाफ़ है वो, खतरा है
अभी उस का बयान बाकी है
जो है मौजूद, जी रहे होंगे
घुटी सी दास्तान बाकी है
अभी बर्बाद कब हुई बस्ती
अधजले कुछ मकान बाकी है
आसमाँ साजिशें करे कितनी
हौसलों की उड़ान बाकी है
1 comment:
हौंसलों की उड़ान बाकी है ... साज़िश करने दो जिसे करनी है ... बहुत खूब सर
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