वैसे का वैसा है होरी,सुन बाबा
गिद्ध करे है मुर्दाखोरी,सुन बाबा
बस्ती को श्मशान बनाने का गुर ले
ताप रहे हैं कई अघोरी, सुन बाबा
मुल्क आवामी बातें एक बहाना है
सुर्खी किस ने कहाँ बटोरी, सुन बाबा
नूरा-कुश्ती,दुरभिसंधियाँ,समझौते
मगर सामने जोरा जोरी,सुन बाबा
मर्दानापन इक साज़िश की भेंट चढ़ा
कुछ जनखों ने खींस निपोरी,सुन बाबा
दुनिया में बस बूढ़े ही पैदा होते
सिसक रही है माँ की लोरी,सुन बाबा
आदम-आदमखोर,आदमीयत सहमी
सत्ता चाटे खून चटोरी,सुन बाबा
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